सहारा भी चमन हो नाच उठा, नभ नील सघन हो नाच उठा सहसा एक नई पीड़ मिली, मन मस्त मगन हो नाच उठा एक सौ सोलह चाँद की रातें बीतीं, अति बोझिल और निस्संग पिया जो आए, उर विरहन का गतिशील पवन हो नाच उठा ©Ghumnam Gautam #Dance #विरहन #पवन #नभ #ghumnamgautam