अपनी जिंदगी माना था उसे अपने दिल अरजा में बसाया था उसे कैसे समझाएं कि कुछ से भी ज्यादा चाहते थे हम उसको उसे क्या पता था कि सर आंखों पर बसाया था उसे दिल को क्या पता था कि उसके लिए एक बुरा सपना है सुबह होते ही भूल जाएंगे वह ओके जाने ना कभी फिर नहीं पाएंगे वह जाने कितना तड़प आएंगे भूल कर भी उनको ना भूल पाएंगे हम यह खुदा उनके बगैर कैसे जी पाएंगे meri mohabat