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वस्ल की चाह में, पिया के नाम की मेहंदी रचाये बैठे

वस्ल की चाह में, पिया के नाम की मेहंदी रचाये बैठे हैं।
बारात लेकर आ जाओ तुम, हम तो नजरें बिछाए बैठे हैं।

काटे नहीं कट रही हैं, अब ये इंतजार की सारी घड़ियां,
चैन-ओ-सुकून बनके आओ, तुम्हें सांसो में बसाये बैठे हैं।

तुम्हें अपना बनाने की चाह में भुला दी हमने सारी दुनियां,
हम तो जन्मों-जन्मों से बस तुमको ही अपना बनाए बैठे हैं।
 🌝प्रतियोगिता-43 🌝
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌷" मेहंदी तेरे नाम की"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
वस्ल की चाह में, पिया के नाम की मेहंदी रचाये बैठे हैं।
बारात लेकर आ जाओ तुम, हम तो नजरें बिछाए बैठे हैं।

काटे नहीं कट रही हैं, अब ये इंतजार की सारी घड़ियां,
चैन-ओ-सुकून बनके आओ, तुम्हें सांसो में बसाये बैठे हैं।

तुम्हें अपना बनाने की चाह में भुला दी हमने सारी दुनियां,
हम तो जन्मों-जन्मों से बस तुमको ही अपना बनाए बैठे हैं।
 🌝प्रतियोगिता-43 🌝
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केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I