वो बेवफा नीकला! इसकी कोई न कोई होगी रवा शायद। रुकना चाहा होगा बेशक उसने! मगर,ले उड़ी होगी उसे हवा शायद किसी दर पर ठहर कर सोचा होगा मूझे! फिर कोई नदी उसे ले गयी होगी बहा शायद यूँ बेअसर होकर भूलना चाहा होगा सबकुछ! मेरे यादों ने न दी होगी; उसके अश्कों को पनाह शायद। वो बेवफा नीकला! इसकी कोई न कोई होगी रवा शायद। Wo bewafa Nikla!!!!!