वृंदावन जाने को निकले जंगल से होकर जब गुजरे। निडर होकर गाते चलते हरी नाम कीर्तन है करते। पेड़ - पौधे संग प्राणी नाचे गीत प्रभु के सुनकर सारे। हरी नाम का गुणगान है गाया पूरे रास्ते सभी को सुनाया। भक्ति प्रेम भरा अपार रोक न पाए अश्रु की धार। उछल उछल कर गीत है गाते आकाश की ऊंचाई को छूते। धन्य हुए इस रूप में पाकर सदा गुणगान करेते नर नार। जय जय श्री चैतन्य महाप्रभु। ।। हरे कृष्ण हरे राम।। ©Heer जय श्री चैतन्य महाप्रभु 🙏