वो चल रहा है मंजिल से परे, सोच रहा है इस दफा दिल की करे, वो देखना चाहता है उस शहर को जहाँ मील का पत्थर नहीं, जहाँ इंसानों मे इंसानों का अंतर नहीं, जहाँ समाज के कानून फतवे नहीं, जहाँ चलने के ढंग से आँख मे कोई खटके नहीं, जहाँ मुस्कुराहटों के अलग अलग मतलब नहीं, जहाँ सच हो बस,तमाशे और करतब नहीं, जो यह पटरी बनाई है,क्या सिर्फ इसपे चलना है ? , पानी से यह शर्त कैसी? कि सिर्फ इसी बर्तन मे ढलना है, जिसने जिंदा चिडिय़ा के लिए पिंजरे बनाए, मुर्दों के लिए मक़बरे बनाए, जिसने नदियों पे बांध बनाए, जिसने अपने सूरज चांँद बनाए, मन मे ना मिला वो,तो उसने मंदिर मस्जिद तमाम बनाए, तालियां उनके लिए जिसने इंसान हो कर भगवान बनाए ।। #yqbaba #yqdidi #hindipoetry #hindi #society #dontjudgeanyone #life #dowhatyouwant