जो हँसते हुए चेहरे के पीछे का ,दुःख समझ जाएं, वही तो नज़र है। जो जिंदगी केवल इश्तिहार में नही, ं ईश्फ़ाक़ में भी निकले , वही तो बसर है। अनजान है वो लोग, जो हमारे दर्द कोे जाने बिना, यूँही वाह वाह फरमा रहे है, बताओ उन्हें कि, जो आँसू आंखों से ना गिर कलम से गिरे , वही तो गजल है। प्रशान्त जैन वही तो गजल है.....