उसे यह फिक्र है, हरदम, नया तर्जे जफा क्या है ? हमें यह शौक देखें सितम की इन्तहा क्या है ? दहर से क्यों खफा रहे चर्ख का क्यों गिला करें ! सारा जहां अदू सही आओ मुकाबला करें ! कोई दम का मेहमान हूं ए अहले महफिल चरागे सहर हूं बुझा चाहता हूं ! मेरी हवाओं में रहेगी ख्यालों की बिजली यह मुश्त - ए - खाक हूं , रहे , रहे न रहे ! भगत सिंह साहब #BhagatSingh #Sahb #Legend #Inquilab #Proud