मंजिल वाले रास्तों पर जिंदगी यूं गुजरती है ख्वाबों में तो जन्नत सजाकर रखते हैं और उजालों में बस कड़कती धूप गिरती है मुझे ना मंजिल का पता है और ना उन रास्तों से बेखबर हूं जहां में चल रही हूं पर हर अजनबी शख्स से बेखबर हो रही हूं एक पल के लिए एक ख्वाब आता है मन में याद नहीं उन राहगीरों को हम जिन्हें मिले थे एक रोज तो क्या फायदा एक कदम बढ़ा कर एक नई मुलाकात करने का लेकिन फिर उठकर चल पड़ती हूं यह सोचकर जब मुलाकात एक ही रास्ते पर हुई तो उनकी भी मंजिल वही होगी क्या पता हर वह शख्सियत ना सही पर वह मंजिल जरूर मेरे आने का इंतजार कर रही होगी Manzil #nojoto#manzil#raste#mulakaat