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"प्रीमियम कविता" निश्छल निर्मल निर्बल हूँ मैं, आ

 "प्रीमियम कविता"

निश्छल निर्मल निर्बल हूँ मैं,
आज हूँ और कल हूँ मैं..!
जब तक पत्थर न फेंकोगे,
जब तक शान्त जल हूँ मैं..!
क्या छोटी बड़ी मुसीबतों से घबराना,
हर समस्या का हल हूँ मैं..!
क्रोधी भी हूँ चिंगारी हूँ मैं,
शत्रुओं के लिए बीमारी हूँ मैं..!
मैं ख़ुद को काबू में रखता हूँ,
वरना तलवार तेज़धारी हूँ मैं..!
जो खड़े रहे साथी बनकर मेरे,
उनके लिए आभारी हूँ मैं..!
ग़म खरीदना आता है मुझे,
खुशियों का व्यापारी हूँ मैं..!
ज़िन्दगी चले जिस राह पर,
सबके प्रति सहकारी हूँ मैं..!

©SHIVA KANT
  #Nischhal