लोगों को देख रहा हूँ हर तरफ बहस ही छिड़ी है ज़िंदगी की रुसवाई, ज़िंदगी से , ज़िंदगी में कर रहे कुछ हस रहे कुछ खेल रहे सब बहरूपिये चेहरे पर चेहरा लगा कुछ छुपा, रियाज़ बोल रहे कुछ बोलना चाह रहे शायद आसपास देख, डर रहे || #लोगों को देख रहा हूँ हर तरफ बहस ही छिड़ी है ज़िंदगी की रुसवाई, ज़िंदगी से , ज़िंदगी में कर रहे कुछ हस रहे कुछ खेल रहे सब बहरूपिये चेहरे पर चेहरा लगा