ये सूरज की ही किरणों से, धूप और छांव होती हैं उगे

ये सूरज की ही किरणों से, धूप और छांव होती हैं 
उगे तो दिन होती है, ढले तो शाम होती है
बोले कर्ण सूरज से, कि इक शंका मिटा दो तुम
मेरी मौत की बेला में ये किरणे क्यूं गुमनाम होती है
मैं एक वीर योद्धा हुं मुझे कायर नहीं मरना
चले आओ पिताजी तुम, मुझे थकान होती है

©@writer.VIMALESHYADAV #surya #Karna Anshu writer Vivek Yadav Dayal "दीप, Goswami..
ये सूरज की ही किरणों से, धूप और छांव होती हैं 
उगे तो दिन होती है, ढले तो शाम होती है
बोले कर्ण सूरज से, कि इक शंका मिटा दो तुम
मेरी मौत की बेला में ये किरणे क्यूं गुमनाम होती है
मैं एक वीर योद्धा हुं मुझे कायर नहीं मरना
चले आओ पिताजी तुम, मुझे थकान होती है

©@writer.VIMALESHYADAV #surya #Karna Anshu writer Vivek Yadav Dayal "दीप, Goswami..