Nojoto: Largest Storytelling Platform

यहाँ  कई अरमां मचल कर मर बैठे हैं कई  पन्ने  काली

यहाँ  कई अरमां मचल कर मर बैठे हैं
कई  पन्ने  काली स्याही के कर बैठे हैं,

ख़बर  बख़ूबी मुझे ज़हर है इस हवा में
तभी तो कई लोग  आज भी घर बैठे हैं

फिर से उगता हुआ सूरज नज़र आया 
तोड़ खामोशी रुख शहर का कर बैठे हैं,

कुछ उठते हैं आज भी जज़्बात कब्र से
सोच हश्र उनका "हर्ष"फिर से डर बैठे हैं

बस एक ख़्याल भर

©हर्ष चौधरी
  #Ocean