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White 1222 1222 122 मेरी दुश्मन है बे- अकली हमारी

White 1222 1222 122

मेरी दुश्मन है बे- अकली हमारी
दिखी औकात अब असली हमारी
मेरे आँसू छुपा लेता है बिस्तर
हँसी है यार अब नकली हमारी।

हमें ही मान बैठे हो खुदा तुम
मगर करते हो फिर चुगली हमारी।

जजीरें तोड़ दी मैंने जहां की
सभी ने टागे फिर काटी हमारी।

पुरुष ही शेष है नारी के भीतर
कहीं अब खो गई नारी हमारी।

अकड़ ही रह गई इंसान में अब
सिकुड़ती जा रही रस्सी हमारी।

नहीं चलती हूं मैं उस राह पे अब
जहां से उठ गई अर्थी हमारी।

पड़ी रहती हूं मैं कमरे के भीतर
हमें ही भा गई सुस्ती हमारी।

दरो दीवार पर चेहरा है उसका
नजर ही हो गई अंधी हमारी। 

सभा में मौन बैठे ही रहे सब
रही थी द्रौपदी लुटती हमारी।

कभी भी याद उसकी आ गई जो
कि हालत ही नहीं सभली हमारी।

मेरी बाहों से हिजरत करने वाले
क्या तुमको याद है चुप्पी हमारी।

©#काव्यार्पण मेरी दुश्मन है :- प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर 

#काव्यार्पण #Kavyarpan #हिंदी #poetry #gazal 
#good_night  hindi poetry Sushant Singh Rajput poetry for kids Kartik Aaryan love poetry in hindi Singh hanny  Sushant  #शून्य राणा  Sircastic Saurabh  सफ़ीर 'रे'
White 1222 1222 122

मेरी दुश्मन है बे- अकली हमारी
दिखी औकात अब असली हमारी
मेरे आँसू छुपा लेता है बिस्तर
हँसी है यार अब नकली हमारी।

हमें ही मान बैठे हो खुदा तुम
मगर करते हो फिर चुगली हमारी।

जजीरें तोड़ दी मैंने जहां की
सभी ने टागे फिर काटी हमारी।

पुरुष ही शेष है नारी के भीतर
कहीं अब खो गई नारी हमारी।

अकड़ ही रह गई इंसान में अब
सिकुड़ती जा रही रस्सी हमारी।

नहीं चलती हूं मैं उस राह पे अब
जहां से उठ गई अर्थी हमारी।

पड़ी रहती हूं मैं कमरे के भीतर
हमें ही भा गई सुस्ती हमारी।

दरो दीवार पर चेहरा है उसका
नजर ही हो गई अंधी हमारी। 

सभा में मौन बैठे ही रहे सब
रही थी द्रौपदी लुटती हमारी।

कभी भी याद उसकी आ गई जो
कि हालत ही नहीं सभली हमारी।

मेरी बाहों से हिजरत करने वाले
क्या तुमको याद है चुप्पी हमारी।

©#काव्यार्पण मेरी दुश्मन है :- प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर 

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