मेरे वापस आने की राह देख रहे अपने बूढ़े माँ बाप को इस बार कसकर गले से लगाना है मुझे घर जाना है ! रोजी रोटी के चक्कर में दूर हुए बीवी बच्चो को देखकर एक बार फिर मुस्कुराना है मुझे घर जाना है ! शहरो में तो अपने दरवाजे बंद कर दिए मेरे लिए अब गाँव का कर्ज चुकाना है मुझे घर जाना है ! आप तो घर से काम कर रहे हो मुझे तो घर-घर काम करके अपना घर चलाना है मुझे घर जाना है ! अपने रोते बच्चो का माथा चुमकर मेरे जिन्दा होने का एहसास कराना हैं मुझे घर जाना है ! नौकरी गयी, पैसा गया, सम्मान खोया, अपमान झेला पर मुझे जीने के लिए कुछ तो जुगाड़ लगाना है मुझे घर जाना है ! बड़ी शर्म आती है जब सड़क किनारे दो रोटी के लिए हाथ फैलाता हूँ अब मुझे अपने परिवार के साथ बैठकर भले ही रूखी-सूखी खाना है मुझे घर जाना है ! अपने चम्मचो के लिए तो आप पर पैसे है मगर आपके लिए काम कर रहे हम गरीबो के लिए तो आपके पास लाॅकडाउन का बहाना है भाड़ मे जाए आपकी दरियादिली पर अब मुझे घर जाना है ! मै अभी डरा सहमा हूँ भूखा प्यासा और अकेला हूँ पर अपने परिवार के सामने मुझे खुलकर आँसू बहाना है अब मुझे घर जाना है ! - वैष्णवी वशिष्ठ #LastDay#writer #vaishnavi#poetry#poem#hindi