है सही अगर तो बताओ, हर्ज कैसा है । लूटेगी जान मिट्टी पे, ये फ़र्ज़ ऐसा है । जब देखा लटकते परिवारों को , तब हमें समझ आया, ये कर्ज कैसा है । बहुत पहले चोट खाई थी दिल पे ,कमबख्त... भरते नहीं जख्म , ये मर्ज कैसा है । क्यों जम गए आंखो के बेहते आंसू तक, ना जाने आज यादों में, ये सर्द कैसा है #Nubastu... #Nubatu.dilse...