इंसाँ हूँ ज़िन्दगी जो तुझे हँसता मिले दुआ है तुझे कोई फ़रिश्ता मिले । इक घर खड़ा है इन दो काँधों पर या रब मुझे ईश्क़ ज़रा सस्ता मिले । सारा जहाँ घूम लिया फिर भी वहीं चल वहाँ जहाँ वखरा रास्ता मिले । आम होने से डरता है ये पंछी आसमान को भी नया फ़ाख्ता मिले । चाँद ने रख्खी है रोशनी उधार की सूदखोर सुरज़ को सूद पुख्ता मिले । ज़ुबाँ से क्या मन्नतें करना ज़िन्दगी सच्चा ख़ुदा जब दिल पढ़ता मिले । होने दे कभी आसमान को सफ़ेद नज़्म से क़ागज़ काला होता मिले । चुस्कियाँ याद हैं वो आपको ज़िन्दगी काश कोई मेरे प्याले से लेता मिले । घंटा - घंटा कर अपनी फ़ुरसत बेच खायी हैरां न होना जो ग़रीब खर्चा करता मिले । एक एक कदम नज़रे झुका के रखना नज़ाकत का तहज़ीब से रिश्ता मिले । सिरहाने रख ली है तस्वीर राम की भाई कल को ये न मुझे कोसता मिले । बैठा है कोई फ़रिश्ता क्या महफ़िल में जो सतिन्दर से आहिस्ता आहिस्ता मिले । ©️✍️ सतिन्दर नज़्म मिले