मोहब्बत का शहंशाह हुआ करता था यारो कभी, आज बदहाली के क़रीब हूँ, संजीदा थी मोहब्बत मेरी फ़क़त ज़मीर नहीं बेचा मैंने, शायद इसलिए ग़रीब हूँ। 🎀 Challenge-213 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।