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मोहब्बत का शहंशाह हुआ करता था यारो कभी, आज बदहाली

मोहब्बत का शहंशाह
 हुआ करता था यारो कभी,
आज बदहाली के क़रीब हूँ,

संजीदा थी मोहब्बत मेरी
फ़क़त ज़मीर नहीं बेचा मैंने,
शायद इसलिए ग़रीब हूँ। 🎀 Challenge-213 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।
मोहब्बत का शहंशाह
 हुआ करता था यारो कभी,
आज बदहाली के क़रीब हूँ,

संजीदा थी मोहब्बत मेरी
फ़क़त ज़मीर नहीं बेचा मैंने,
शायद इसलिए ग़रीब हूँ। 🎀 Challenge-213 #collabwithकोराकाग़ज़

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🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

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anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator