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छोड़कर "शजर" एक शहर छोड़ आये! तूफ़ान थे दिलों के ज

छोड़कर "शजर" एक शहर छोड़ आये!
तूफ़ान थे दिलों के जो वो मोड़ कर आये!

आये मगर कुछ इस कदर की यकीं अब तक नहीं!
ग़र शुक्र हैं कि जो था सब वहीँ छोड़ के आये!

(शजर- पुराना बरगद का पेड़ )

©ravi parihar
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RAVI PARIHAR

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