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वो चौखट छूकर जाता है। पर तन्हा घर , डर जाता है।।

वो  चौखट  छूकर जाता है।
पर तन्हा घर , डर जाता है।।
ये  जीने  की  लाचारी  उफ़,
वो  जीते जी मर जाता है।।

©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
  #गांव_की_यादें