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बैठ जाता हूं टॉयलेट में अक्सर....... क्योंकि जिंद

बैठ जाता हूं टॉयलेट में अक्सर.......
 क्योंकि जिंदगी के बड़े बड़े फैसले टॉयलेट में बैठ कर ही होते हैं।....
          
  .....continue in caption.. plz read बैठ जाता हूं टॉयलेट में अक्सर क्योंकि जिंदगी के बड़े बड़े फैसले टायलेट में बैठ कर ही होते हैं।
मैंने कमल से सीखा है कीचड़ में खिलना और अपनी मौज में रहना।
ऐसा नहीं है कि मैं किसी काम का नहीं पर सच कहता हूं मुझे कोई काम नहीं...।
जल जाते हैं मेरे दिमाग के तार अक्सर क्योंकि ना तो मैंने मुद्दतों से ना तो कोई ढंग का इरादा किया और ना ही कोई फैसला लिया ..।
सोचा था बैठूंगा सुकून से और लूंगा कोई ढंग का डिसीजन पर बदबू ने बैठना दुश्वार कर डाला...।
खुशबू की बात मत कर ऐ ग़ालिब फ्रेशनर हमारी औकात में नहीं आता..।
डिसीजन तो टॉयलेट में बैठकर ही होते हैं योगमुद्रा मे चिंतन करने से तो बस चिंता बढ़ती है....। 
एक सवेरा था जब हम 5 मिनट में टॉयलेट से बाहर निकल जाते थे तो कभी कभी सोचते सोचते शाम ही हो जाती है...।
बैठ जाता हूं टॉयलेट में अक्सर.......
 क्योंकि जिंदगी के बड़े बड़े फैसले टॉयलेट में बैठ कर ही होते हैं।....
          
  .....continue in caption.. plz read बैठ जाता हूं टॉयलेट में अक्सर क्योंकि जिंदगी के बड़े बड़े फैसले टायलेट में बैठ कर ही होते हैं।
मैंने कमल से सीखा है कीचड़ में खिलना और अपनी मौज में रहना।
ऐसा नहीं है कि मैं किसी काम का नहीं पर सच कहता हूं मुझे कोई काम नहीं...।
जल जाते हैं मेरे दिमाग के तार अक्सर क्योंकि ना तो मैंने मुद्दतों से ना तो कोई ढंग का इरादा किया और ना ही कोई फैसला लिया ..।
सोचा था बैठूंगा सुकून से और लूंगा कोई ढंग का डिसीजन पर बदबू ने बैठना दुश्वार कर डाला...।
खुशबू की बात मत कर ऐ ग़ालिब फ्रेशनर हमारी औकात में नहीं आता..।
डिसीजन तो टॉयलेट में बैठकर ही होते हैं योगमुद्रा मे चिंतन करने से तो बस चिंता बढ़ती है....। 
एक सवेरा था जब हम 5 मिनट में टॉयलेट से बाहर निकल जाते थे तो कभी कभी सोचते सोचते शाम ही हो जाती है...।
neeleshrai2224

NEELESH RAI

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