आज टेक्नोलॉजी ने यह संभव कर दिया है कि सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में बहुत से काम कर्मचारी घर बैठे-बैठे भी कर सकते हैं। उनके आकलन, नियंत्रण, समीक्षा के भी तरीके टेक्नोलॉजी में उपलब्ध हैं। टेक्नॉलोजी के माध्यम से होने वाले कार्यों में पारदर्शिता भी पूरी रहती है और ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ की तो स्वत: पालना हो जाती है। जरा सोच कर देखिये (वर्क फ्रॉम होम) के कारण कितनी बड़ी संख्या में सरकारी भवन खाली हो सकते हैं। #विज्ञान_का_ताण्डव सब देख ही रहे है इसी के साथ #1_मई_तक_लॉकडाउन_के_साथ_राजस्थान_सतर्क_है और 3 मई की घोषणा के साथ पूरा भारत इसी दौरान #पाठकपुराण के माध्यम से मैं #गुलाब_कोठारी जी के विचारों से आपको अबगत कराता हूँ। जो कि #राजस्थान_पत्रिका के प्रधान संपादक हैं। #क्रमशः_-_02 : इन भवनों का उपयोग अस्पताल, स्कूल और अन्य जनसुविधाओं के लिए किया जा सकता है। दफ्तर आना जाना कम हो जाएगा तो सडक़ों पर वाहनों की संख्या भी आधी से कम रह जाएगी जिसका सीधा लाभ प्रदूषण मुक्ति के रूप में मिलेगा। बिजली, ईंधन, जल जैसे आवश्यक संसाधनों की भी बचत होती है। इन सबसे प्रकृति की शुद्धता भी बनी रहती है।