व्रक्ष और पानी समस्त समाज के स्वामी... पानी तुमने मेरी बात ना मानी, बूँद बूँद मै रिश के आयी, कितनो प्रत्यनो से तुम तक आयी और तुमने मेरी कर्द ना जानी, पानी तुमने मेरी बात ना मानी, थे जो मेरे संघी सहारे, अब खिडकी दरवाजे पलंग तुम्हारे, शोभा मे सब द्बार तिहारे, कर ली तुमने जो मनमानी पानी तुमने मेरी बात ना मानी, सूखे गला टपके पसीना राह जले कहो अम्बर लीला, थक हार के अब रोता मुसाफिर मन ही मन पछताता मुसाफिर अब अपनी बिपिता किसे सुनाता व्रक्ष नही जो छाँव ले लेता हरे पत्तो को ही चब लेता, सूखे गले मे आती जान होशियारी मे हो गये नदान, मानव जीवन से ये रस पाया व्रक्ष नही तो कैसी काया । #Environment #nojoto #nojotohindi #poetry #quotes #kalakaksh