मिटाने को अपना सरो सामाँ ले चले हैं हम हाथो पे अपनी जान ले चले हैं ।।। न आने पाये तुझ पर बातिल की बुरी नज़र ऎ वतन मेरे हम कफ़न साथ ले चले है ।। हिमालया की ऎ हँसी वादी मकसद हमारा है अज़ादी ।। अपने लहू से सींचते हुए इस मिटटी को हम आज़ादी का करवान ले चले हैं ।। वो जो वतन पे क़ुर्बान हो गये जो इस मिटटी में दफ़न हो गये।।। जुनूं आज़ादी का मिटाया न जिसने उनके कदमो के निशाँ ले चले है ।। मिटाने को अपना सरो सामाँ ले चले हैं हम हाथो पे अपनी जान ले चले हैं न आने पाये तुझ पर बातिल की बुरी नज़र ऎ वतन मेरे हम कफ़न साथ ले चले है हिमालया की ऎ हँसी वादी मकसद हमारा है अज़ादी अपने लहू से सींचते हुए इस मिटटी को