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//मानवता का अंत हो रहा है// ********************

//मानवता का अंत हो रहा है//
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अनुशीर्षक में पढ़ें
👇👇👇👇👇👇 मैं ‘मानवता’ को सबसे सच्चा और बड़ा ‘धर्म’ समझता हूं। जिसके अंदर मानवता की भावना होती है उसके अंदर ‘प्रेम’ के सारे गुण पाए जाते हैं। अब मैं क्या कहूं, काले-गोरे, अमीर-गरीब, ऊंच-नीच में क्या रखा है।
आजकल जैसा दौर चल रहा है हर तरफ मारो मार पड़ी है अगर यह सब ऐसा ही चलता रहा तो 1 दिन मानवता खत्म हो जाएगी और उसका पुनर्निर्माण करना के लिए वापस श्री कृष्ण को अवतार धारण करना होगा।
तकनीकी करण का जमाना हो गया है किसी को किसी से कोई मतलब नहीं कोई जवाब नहीं कोई चाह नहीं कोई मोह ममता नहीं।
हर किसी को देखो अपने मोबाइल में व्यस्त है एक घर के चार से दूसरे की आपस में बातचीत नहीं करते और सब लोग शाम को अपने अपने मोबाइल में व्यस्त होते हैं। हिसाब से मां-बाप जब नौकरी करके घर आते हैं तो बच्चों को वह समय नहीं दे पाते जो उनको चाहिए जिस कारण क्या होता है उनके अंदर आदेशों की कमी नजर आती है। उनकी बोलचाल कातिल का व्यवहार नजरिया गोविंद के प्रति बजाने लगता है और वह अपने आप तक ही सीमित रह जाते हैं।
कहते हैं ना बच्चा जब तक रोए नहीं मां दूध नहीं पिलाती। ठीक वैसे ही बच्चे को जब तक घूमना भरे जाए उसका बचपन अधूरा है और वह पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता जो वह देखता है जो वह सुनता है उसका व्यवहार बिल्कुल वैसा ही बन जाता है पहले 70 बार हुआ करते थे तो दादा दादी अपने पोते पुत्रों के साथ एक अच्छा समय व्यतीत करते थे जिस कारण वह बातों ही बातों में उनके अंदर वह गुण भर देते थे जिसकी आज की पूरी में कमी है। जब किसी दुखी गरीब को देखते हैं तो मन में उनके प्रति दया का भाव उठना किसी भूखे को खाना खिलाना किसी अपाहिज की मदद करना किसी बेजुबान की मदद करना बड़ों का आदर करना आजकल कितने दिन में सब कुछ नहीं। सही मायने में कहा जाए तो मानवता का अंत हो गया है।

#czsc2 
#collabwithcollabzone
//मानवता का अंत हो रहा है//
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👇👇👇👇👇👇 मैं ‘मानवता’ को सबसे सच्चा और बड़ा ‘धर्म’ समझता हूं। जिसके अंदर मानवता की भावना होती है उसके अंदर ‘प्रेम’ के सारे गुण पाए जाते हैं। अब मैं क्या कहूं, काले-गोरे, अमीर-गरीब, ऊंच-नीच में क्या रखा है।
आजकल जैसा दौर चल रहा है हर तरफ मारो मार पड़ी है अगर यह सब ऐसा ही चलता रहा तो 1 दिन मानवता खत्म हो जाएगी और उसका पुनर्निर्माण करना के लिए वापस श्री कृष्ण को अवतार धारण करना होगा।
तकनीकी करण का जमाना हो गया है किसी को किसी से कोई मतलब नहीं कोई जवाब नहीं कोई चाह नहीं कोई मोह ममता नहीं।
हर किसी को देखो अपने मोबाइल में व्यस्त है एक घर के चार से दूसरे की आपस में बातचीत नहीं करते और सब लोग शाम को अपने अपने मोबाइल में व्यस्त होते हैं। हिसाब से मां-बाप जब नौकरी करके घर आते हैं तो बच्चों को वह समय नहीं दे पाते जो उनको चाहिए जिस कारण क्या होता है उनके अंदर आदेशों की कमी नजर आती है। उनकी बोलचाल कातिल का व्यवहार नजरिया गोविंद के प्रति बजाने लगता है और वह अपने आप तक ही सीमित रह जाते हैं।
कहते हैं ना बच्चा जब तक रोए नहीं मां दूध नहीं पिलाती। ठीक वैसे ही बच्चे को जब तक घूमना भरे जाए उसका बचपन अधूरा है और वह पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता जो वह देखता है जो वह सुनता है उसका व्यवहार बिल्कुल वैसा ही बन जाता है पहले 70 बार हुआ करते थे तो दादा दादी अपने पोते पुत्रों के साथ एक अच्छा समय व्यतीत करते थे जिस कारण वह बातों ही बातों में उनके अंदर वह गुण भर देते थे जिसकी आज की पूरी में कमी है। जब किसी दुखी गरीब को देखते हैं तो मन में उनके प्रति दया का भाव उठना किसी भूखे को खाना खिलाना किसी अपाहिज की मदद करना किसी बेजुबान की मदद करना बड़ों का आदर करना आजकल कितने दिन में सब कुछ नहीं। सही मायने में कहा जाए तो मानवता का अंत हो गया है।

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