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दिल ने कई बार चाहा तुम्हें रोक लूं पर, लब थरथराते

दिल ने कई बार चाहा तुम्हें रोक लूं
पर,
लब थरथराते रह गए,,,
कांपते रह गए..
जो कहना था तुमसे कह ना सके
तुम पास आकर दूर जाते गए
जो थे फ़ासले दरमियां रह गए..
तुमसे तुम्हारे अबोले का दामन ना छूटा
कई बार ऐसे भी दिल अपना रूठा
रूठे दिल को मनाया बहुत
मन ने, मन को मन से बुलाया बहुत
मगर अंधेरे ने यूं घेरा हमको
देकर 'मासूम भरोसा' जब तुम चले गए..

कुछ कहने को,
लब थरथराते रह गए,,, 
कांपते रह गए......

©Raj Alok Anand
  #दरमियाँ