महापरिनिर्वाण दिन ग़ज़ल by bilgesahab
चलो ले चले हम क़िस्म-ए-इंसान को चैत्यभूमि दिखाने।
बाम-ए-फ़लक से ख़ुदा भी आएगा सर झुकाने।
वो जो नावाक़िफ़ पूछते है कि है ख़ुदा चीज़ क्या।
ख़ुदा ख़ुद आयेगा नाम, जनाब-ए-बाबासाहब बताने।
दरिया-ए-तौहीन को आतिश-ए-संबिधान से मिटाया।