मैं निकम्मा गाँव में लोग काम से निकल गए है, खाली जेबें भरते शहर में उन के पाँव जल गए है। इधर अपने गाँव का सिर्फ़ मौसम बदला है; मगर! सुना है! उधर शहर जा कर लोग ही बदल गए है। ©एस पी "हुड्डन" #गाँव_शहर