साथ चलते रहे दरमियाँ कुछ मगर फासला सा रहा कोई शिकवा ना था मगर दिल में कहीं गिला सा रहा यूँ तो सुलझा रहा हर एक रिश्ता मगर जहन में उलझनों का सिलसिला सा रहा खो चुका था सभी कुछ एक उसके सिवा उसके होने का मन ही मन में दिलासा रहा वैसे दिखता रहा ख़ुशनुमा हर तरफ दिल में आज़ार का काफ़िला सा रहा वो बदन बन के मुझसे जुदा था मगर रूह बन कर वो मुझमें मिला सा रहा #LOVEGRAPHY #फासला #आज़ार = तकलीफ