संभल कर इक राह मुझे भी मिला था शायद कुछ तो औरों से अलग कर रहा था अंजाम जो कुछ हो पर वो बड़ा प्यारा था पकड़ मैं ऊँगली चल पड़ा आखिर मुझको भी जीना था मुस्कुराहट नीली पड़ गई अचानक यूँ हाँ तमाम मुस्कुराहट के बाद गमों का मौसम था मिरे साथ साथ रात गुजार वो अब मेरा सवेरा था कौन जाने उल्फत के कारनामे हमारे लफ्ज़ में तो बस सुकून था कैसे कैसे ख्वाब मुक्कमल होते चलें गए इक नफ़रत में उसके आखिर में बस मसान ही तो जलना था आज बड़े दिन बाद इक शजर यादों के सिरहाने चूमा यूँ कब्र मेरी मुझको कहां खबर उसमें भी रंजिशो का दामन था । #kunalpoetry #untoldstory #manjil_ki_talash_me #restzone #darkness #gajalnama #kunu #yqdidi