इस बे-खूदी में कहाँ आ गए हम, भूलना जिसे चाहाँ उसी के करीब आते गए हम वक्त की दरिया में कुछ ऐसे समाते गए, जिन यादों से पीछा छुड़ाना था उसी में बहते गए हम ख़ुद को तस्सली ऐसे देते रहे हम ,तेरे कदमों के निशा दिल से कतरा-कतरा मिटाते गए हम कदम-कदम पर दुनिया ने मुझे रोका था आहिस्ता-आहिस्ता उन्हें दिल में बसाते गए हम एक बेवफा को ऐसे गले लगाते रहे हम कोरे काग़ज़ पे रोज-रोज उन्हें सजाते गए हम ।। ♥️ Challenge-656 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।