जी लेंगे किसी ना किसी बहाने से, यूँ झुठा मुस्काराना छोड़ दे। आँसू तेरे ही बदोलत मिले हैं, यूँ बेवजह दिलासा देना छोड़ दे। नफ़रत सी भरी हैं तेरे दिल में, यूँ प्यार से पेश आना छोड़ दे। और हम जान चुके है तेरी सारी हकिकत, अब तू शरिफों के भेष में आना छोड़ दे। शरीफ