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जिज्जी ... तुम नहीं समझ पाओ, हमार यहां

   जिज्जी ...
   तुम नहीं समझ पाओ,
    हमार यहां 
   ऐसे ही होवत है....

 (अनुशीर्षक में पढ़ें)
     #जिज्जी 
#शनिवार इतवार को सीमा के 
स्कूल की छुट्टी रहती थी, इसलिए फुदकते हुए अपनी मां के साथ
हमारे यहां आ जाती...
 बेटियों से विशेष लगाव रखने के कारण
मैं भी उसकी बातें गौर से सुनती...
पेट भर खाती,कभी कोई कविता सुनाती,कभी अखबार में कुछ पढ़ने बैठ जाती... हर बार नयी बातें होती उसकी..११साल की थी, तीसरी कक्षा में पढ़ती थी.. गणित के सवालों को समझती,और Thank you aunty हंस के बोल जाती..अनगिनत खूबी रखती...
 इस बार नहीं आयी, तो पता चला बुखार चढ़ा है..
   जिज्जी ...
   तुम नहीं समझ पाओ,
    हमार यहां 
   ऐसे ही होवत है....

 (अनुशीर्षक में पढ़ें)
     #जिज्जी 
#शनिवार इतवार को सीमा के 
स्कूल की छुट्टी रहती थी, इसलिए फुदकते हुए अपनी मां के साथ
हमारे यहां आ जाती...
 बेटियों से विशेष लगाव रखने के कारण
मैं भी उसकी बातें गौर से सुनती...
पेट भर खाती,कभी कोई कविता सुनाती,कभी अखबार में कुछ पढ़ने बैठ जाती... हर बार नयी बातें होती उसकी..११साल की थी, तीसरी कक्षा में पढ़ती थी.. गणित के सवालों को समझती,और Thank you aunty हंस के बोल जाती..अनगिनत खूबी रखती...
 इस बार नहीं आयी, तो पता चला बुखार चढ़ा है..
tulika3350361195569

Anamika

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