कल रात के तेज़ आंधी तूफान और बारिश के बाद जब सुबह-सुबह बालकनी का दरवाज़ा खोलकर बाहर गयी तो देखा कुछ कपड़े जो सूखने के लिए तार पर छोड़े थे, बारिश में भीगे होंगे। भीगने के बाद हवा के चलने से सूख भी गए थे। जब उन्हें उतारा तो अजीब सी सीलन की गंध थी उनमें। तभी यह ख्याल आया कि धुले हुए कपड़ों को सूखने के लिए तार पर डाला जाए और वो बारिश में भीग जाएं तो बारिश के बाद बहती #हवा से #सूख तो जाते हैं लेकिन वो #ताज़गी नहीं आती जो तेज़ धूप में सूखे कपड़ों में होती है। सीलन की महक रह ही जाती है। रिश्ते भी बिल्कुल ऐसे ही होते हैं । एक बार गलतफहमियों की बारिश होने के बाद बहती हवा से घाव सूख तो जाता है लेकिन रिश्तों की ताज़गी कहीं खो जाती है। नम आंखों से महसूस किए गए एहसासों की सीलन पूरी तरह नहीं सूखती। महक रह ही जाती है। ©झिंगाट छकु #Smile