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*दिल्ली दंगा* सीएए, एनपीआर, एनारसी, क्या है? लग

*दिल्ली दंगा* 
सीएए, एनपीआर, एनारसी,
 क्या है?
 लगभग सभी को ज्ञात है।
 संसद के दोनों सदनो से,
  सीएए, कानून पास है।। 
 अनेकता में एकता ही, 
 हमारी सद्भावना की बुनियाद है।
 केवल और केवल हमारा देश
 ही तो, सभी धर्मो से आबाद है।। 
 हम मिल सब बैठेंगे ,तो सारे मसले हल हो जाएंगे। 
 वरना देश के दुश्मन ,अपने बुरे लक्ष्य को पाएंगे।। 
 धर्म अलग हो सकते हैं, लहू के रंग में भेद नहीं।
 देश,धर्म के दुश्मनों की मंशा पर,  पानी फेरो अभी यहीं।। 
 पछताने के शिवा क्या बचेगा?
 बस रोते- विलखते रह जाओगे। 
 बीता कल वापस नहीं आता, तब ही तुम समझ पाओगे।। 
 अभी समय है, कौन है दुश्मन ,तुम उसको पहचान लो। 
 भारत माँ न हो पाए रुसवा, क्या है सही, ये जान लो।। 
 रोती-बिलखती मां-बहनों के आंसू क्या तुमको अच्छे लगतें है? 
 यदि नहीं तो ,होश में आओ, 
 वही करो जो बिलकुल सच्चे लगतें हैं।।
 जाति -धर्म के मतभेदों को, आओ मिलकर दूर करें।
 शांति -भाईचारा की दिवार को बहुत मजबूत करें।। 
 शांति की पहल हमको करनी है,कोई उपर से नहीं आएगा। 
 आगे कदम बढाएंगे तो दुसरा भी साथ निभाएगा।। 
       नवीन कुमार दिल्ली का दंगा
*दिल्ली दंगा* 
सीएए, एनपीआर, एनारसी,
 क्या है?
 लगभग सभी को ज्ञात है।
 संसद के दोनों सदनो से,
  सीएए, कानून पास है।। 
 अनेकता में एकता ही, 
 हमारी सद्भावना की बुनियाद है।
 केवल और केवल हमारा देश
 ही तो, सभी धर्मो से आबाद है।। 
 हम मिल सब बैठेंगे ,तो सारे मसले हल हो जाएंगे। 
 वरना देश के दुश्मन ,अपने बुरे लक्ष्य को पाएंगे।। 
 धर्म अलग हो सकते हैं, लहू के रंग में भेद नहीं।
 देश,धर्म के दुश्मनों की मंशा पर,  पानी फेरो अभी यहीं।। 
 पछताने के शिवा क्या बचेगा?
 बस रोते- विलखते रह जाओगे। 
 बीता कल वापस नहीं आता, तब ही तुम समझ पाओगे।। 
 अभी समय है, कौन है दुश्मन ,तुम उसको पहचान लो। 
 भारत माँ न हो पाए रुसवा, क्या है सही, ये जान लो।। 
 रोती-बिलखती मां-बहनों के आंसू क्या तुमको अच्छे लगतें है? 
 यदि नहीं तो ,होश में आओ, 
 वही करो जो बिलकुल सच्चे लगतें हैं।।
 जाति -धर्म के मतभेदों को, आओ मिलकर दूर करें।
 शांति -भाईचारा की दिवार को बहुत मजबूत करें।। 
 शांति की पहल हमको करनी है,कोई उपर से नहीं आएगा। 
 आगे कदम बढाएंगे तो दुसरा भी साथ निभाएगा।। 
       नवीन कुमार दिल्ली का दंगा