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बंदिशों की तरह बिखरे जो सपने ज़र्रे ज़र्रे मे टूट

बंदिशों की तरह बिखरे जो सपने 
ज़र्रे ज़र्रे मे टूटे हैं हर लम्हे... 

समेटे जो टूटे एक एक नग्मे 
ना रहे हाथ मे जो फिसले कुछ अर्से...

©heer Nimavat ना रहे hatho me jo फिसले kuch अर्से..!!! 

#BooksBestFriends
बंदिशों की तरह बिखरे जो सपने 
ज़र्रे ज़र्रे मे टूटे हैं हर लम्हे... 

समेटे जो टूटे एक एक नग्मे 
ना रहे हाथ मे जो फिसले कुछ अर्से...

©heer Nimavat ना रहे hatho me jo फिसले kuch अर्से..!!! 

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