एक भ्रूण की पुकार ना जग देखा ना प्यार, बस देखा तो वो तेरे संग बिताए नौ महीने का अहसास.. जो तूने बाहर महसूस किया, मैंने भी वो तेरे अन्दर छिप कर दिल से स्वीकार किया.. आज एक उत्तर मांगू तुझसे मां, इस पुरुषप्रधान समाज में तू कब तक दर्द पीकर मुझे यूं अपने लहू में बहाएगी.. कब तक अपनी नन्ही जान को यूं सताएगी.. कुछ बोल ना मां?? कब तक तू यूं चुप आंसू बहाएगी, कब मुझे इस दुनिया की झलक दिखाएगी.. कब तक डर में सहमी तू मुझे अंधकार में दबाएगी, कब तू दुर्गा - काली बन अपनी नन्ही जान को इस संसार की झलक दिखाएगी, ना जाने कब तू मुझे अपने सीने से लगाएगी..... कब तू इस समाज में मुझे बोझ नहीं , नन्ही परी नाम दिलाएगी?? ^श्रेया मिश्रा_ #कन्या भ्रूण हत्या#एक भ्रूण की पुकार