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इश्क़ का मंज़र चढ़ा ऐसे तनहा ही ठीक थे हर गम से बेखब

इश्क़ का मंज़र चढ़ा ऐसे तनहा ही ठीक थे 
हर गम से बेखबर थे
झूठे ही पर गए प्यार में
क्यों कि उस समय अनजान थे राइटर जीतू जी
इश्क़ का मंज़र चढ़ा ऐसे तनहा ही ठीक थे 
हर गम से बेखबर थे
झूठे ही पर गए प्यार में
क्यों कि उस समय अनजान थे राइटर जीतू जी