जो जुबां नहीं, वो निगाहेँ बोलती हैं। राज कितने भी हों गहरे, उनको आँखे खोलती हैं कोई समझे बातें तो रिश्तों में प्रेम की मिठास घोलती हैं। ©SHIVAM SINGH TOMAR