अपने हुस्न के अदाओं से वो बना गयी मुझको फुद्दू हक्का-बक्का में रह गया जब प्यारसे उसने बुलाया मुझे "कद्दू"! पता ही न था : बनाती है वो सबको बुद्धू सच कहु तो बड़ा अच्छा लगता था जब भी वो मुझको बुलाती थी "कद्दू"! Please Read Caption for the full Poem. Thank u 😊 ♥ 🤗 अपने हुस्न के अदाओं से वो बना गयी मुझको फुद्दू हक्का-बक्का में रह गया जब प्यारसे उसने बुलाया मुझे "कद्दू"! डूब गया था में भी प्यारमे रहता था हर वक्त उसके मैसेज के इंतजार में, जो पूछोगे "गहराई प्यारका था कितना?"