1. सहस्रकिरणोज्ज्वल। लोकदीप नमस्तेऽस्तु नमस्ते कोणवल्लभ।। भास्कराय नमो नित्यं खखोल्काय नमो नमः। विष्णवे कालचक्राय सोमायामिततेजसे।। भावार्थ― हे देवदेवेश! आप सहस्र किरणों से प्रकाशमान हैं। हे कोणवल्लभ! आप संसार के लिए दीपक हैं, आपको हमारा नमस्कार है। विष्णु, कालचक्र, अमित तेजस्वी, सोम आदि नामों से सुशोभित एवं अंतरिक्ष में स्थित होकर सम्पूर्ण विश्व को प्रकाशित करने वाले आप भगवान भास्कर को हमारा नमस्कार है। 2. तिलवत् स्निग्धं मनोऽस्तु वाण्यां गुडवन्माधुर्यम्। तिलगुडलड्डुकवत् सम्बन्धेऽस्तु सुवृत्तत्त्वम्।। भावार्थ― मकर संक्रांति पर तिल समान हम सभी के मन स्नेहमय हो, गुड़ समान हमारे शब्दों में मिठास हो और जैसे लड्डू में तिल और गुड़ कि प्रबल घनिष्ठता है वैसे हमारे संबंध हो। #मकर_सक्रांति_की_बहुत_बहुत_शुभकामनायें #योरकोट_हिंदी #संस्कृतश्लोक #योरकोटबाबा #योरकोट_दीदी