बिखरने लगे जब उस माला के मोती एक मोती यूँ ज़िद पर अपनी अड़ा था होके ख़ामोश अपनी जगह पर खड़ा था खुद को सम्भाला,अस्तित्व मोतियों का बचाया है कुछ इस कदर मोतियों को उसने पिरोया है माला को उसने यूँ सम्पूर्ण बनाया है साथ ही सबका मान बढ़ाया है ऐसी ही होती है रिश्तो की कड़ियाँ एक ही बनती एक ही से बिखरती एक ही की जरुरत है जहान को बदलने में स्वयं में ही है वो एक छवि निराली #kumaripooja