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न जाने कब से उनकी यादों, ख्यालों का मंदिर बनाए बै

न जाने कब से उनकी यादों,  ख्यालों का मंदिर बनाए बैठे है। 
इश्क़ एक नदी जिसे अश्क के समुंदर से मिलाए बैठे हैं।
चल पड़े है मीरा की राह पर
मोह छोड़, बस उसकी एक झलक को आँखो मे बसाए बैठे हैं।। #मीरा_की_राह
न जाने कब से उनकी यादों,  ख्यालों का मंदिर बनाए बैठे है। 
इश्क़ एक नदी जिसे अश्क के समुंदर से मिलाए बैठे हैं।
चल पड़े है मीरा की राह पर
मोह छोड़, बस उसकी एक झलक को आँखो मे बसाए बैठे हैं।। #मीरा_की_राह