ऐ बादल! आज तो ज़मीं पर बरस जा। मन अपना बिन बारिश कितना तरस गया। काले मेघ बन ना जाने किधर चले जाते हो। हम सबको चिढ़ा कर धीरे से निकल लेते हो। हम तुम्हें ढूँढते रह जाते हैं अपने इधर। तुम बरस जाते हो जाकर उनके घर। मौसम–ए–इश्क़ है तू कहानी बन कर आजा। मेरे रूह को जो भिगो दे वह पानी बन कर आजा। #कोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़जिजीविषा #yqdidi #kkdrpanchhisingh1 #बारिश #yqhindi #बरसात #बादल