धरती थक गईगगन थक गया, थक गया सारा जहाँ अंबर से आदेश हे आया अब ढूँढु मै उसे कहाँ। नव चिंतन कर रहा खुले आसमाँ चीख रहा.. आस मे पास मे, और न जाने कहाँ -कहाँ। धरती थक......... बड रही भीड हे बढ रही आवाम है कर रहा हूँ प्राथना थक कर बैठ गया हूँ मै यहाँ धरती थक............... ढूँढ रहा हूँ उसको जो लेटी थी कभी यहाँ थोडी देर मै न जाने चली गई है वो कहाँ धरती थक गई गगन थक गया,थक गया सारा जहाँ अंबर से आदेश हे आया अब ढूँढु मै उसे ✍️✍️ -राजकुमार पटेल (शांति) शेर -ए - हिन्दुस्तान SIR J J @GMAIL I.COM