अंगुली के पोर पर रख जीवन की डोर थामा हाथ मोहब्बत़ का चल पड़ा तिश्नगी की ओर, सुहानी सी जो रूत थी उससे हो उठा दिल भावविभोर रात की कैकश़ा सिमटी मुझमें और अपना सा कर गई वो भोर, नजाकत़ से तृष्णा देती घटाएँ जैसे कोई चित़चोर समेटे हुए आतिश-ए-उन्सुर मोहब्बत़ की हयत़ ले चली अपनी ओर, अंगुली के पोर पर रख जीवन की डोर। #पोर #अंगुलीकेपोर #YQdidi #हिन्दी #ऊर्दू #जिंदगी #मोहब्बत़ #शाम_सवेरा #तृष्णा