नजरो का कसुर नही हे साहेब उनकि श्क्शिय्त हि कमाल थी चाहा तो हमने मोह्ब्ब्त थी हमे तोह इन्तेजार ही नसिब हुआ.. अब क्या कहे तुमे कि कितना प्यार था पर हमे तो सिर्फ नफरत नसिब हुआ ना जाने क्या कमि थी हमारी दुआ मे भगवान नही हमे तोह सिर्फ मुरत नसिब हुआ... चले थे मिलन को हमे तोह जुदाइ नसीब हुआ....