प्रेम सिर्फ़ वसन नही वासना का.... प्रेम समुन्दर है जज्बातों का... प्रेम सागर है अरमानों का.. प्रेम दरिया है भावों का.. प्रेम अग्नि है विरह का.. प्रेम संयोग है मिलन का.. प्रेम आकर्षण है सम्मोहन है चाहतों का .. प्रेम अंतरंगता है समर्पण है दो दिलों के रिश्तों का.. प्रेम लगाव है.. भाव है.. स्पर्श है.. जिस्मों का प्रेम मुक है.. निशब्द है.. त्याग है.. आस है रूहों का प्रेम सेवा है.. संघर्ष है.. प्रतिबद्धता है अनुराग का.. प्रेम भय है.. प्रेम अनिश्चिता है.. प्रेम असुरक्षा का भाव है बिछूड़ने का.. प्रेम जोश है.. प्रेम उत्साह है.. प्रेम आनंद है.. प्रेम परमानंद है.. प्रेम जीवन का सार है.. प्रेम जीवन का आधार है.. प्रेम पूर्णता है.. प्रेम पुर्ण विराम है जिंदगी का... #दिनेशपांडेय