I thought कैद है नफ़्स के दरमियाँ उसकी दो उंगलियाँ जो कभी मचली थी दिल पे और धड़क उठा था दिल उसका और वो ही थी जो जेहन में बे इख़्तियारी रखे हुए बे कस थी खुद अपने दरमियाँ।। -आकिब जावेद कैद है नफ़्स के दरमियाँ उसकी दो उंगलियाँ जो कभी मचली थी दिल पे और धड़क उठा था दिल उसका और वो ही थी जो जेहन में बे इख़्तियारी रखे हुए बे कस थी खुद अपने दरमियाँ।।