#OpenPoetry भूलकर सारी बातें, आज हम भी मतलबी हो जाए हो जाए जो आम, एेसा मशहूर वो किस्सा हो जाए बेफ़िजूल वास्ता फ़िर हम भी रखने लगे सबसे, करनी हो चालाकी, तो हम भी फ़िर सब जैसे हो जाए बेमतलब की उस मुलाकात का, बस इन्तजार हो जाए हिस्सा उसकी कहानी का, एक अहम किरदार हो जाए शब्दों से बयां करें कोई हमारी भी कहानी इस तरह, पढ़ सके कोई सिरहाने रख , एेसी कोई किताब खास हो जाए बेपर्दा मोहब्बत का हम भी एक हिस्सा हो जाए खुद में उसे पाने का, उसी का एक जरिया हो जाए बेफ़िजूल बातें, कुछ शब्द ,योंहि बयां कर देते है , एेसी जुबाँ और मतलबी, फ़िर एक किरदार हो जाए #openpoetry